दस्तक
दस्तक दी जब वक़्त ने तो ख्याल आया....
हमें अपने लिए भी कुछ करना चाहिए था...
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हर मुश्किल राह पे उठे बेबाक सवालों का...
हमे कुछ जवाब देना चाहिए था...
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ख्याल ही ख्याल मैं निकाल गया दिमाग से...
बारे उस बात के कुछ तो सोचना चाहिए था...
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वो जो बाहर खुश अंदर चुप रहता है...
खामोशी पर उसकी कुछ तो लिखना चाहिए था...!!
Suryansh jangid