sanskrit master

Sunday, 31 January 2021

दस्तक

 दस्तक


दस्तक दी जब वक़्त ने तो ख्याल आया....

हमें अपने लिए भी कुछ करना चाहिए था...

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हर मुश्किल राह पे उठे बेबाक सवालों का...

हमे कुछ जवाब देना चाहिए था...

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ख्याल ही ख्याल मैं निकाल गया दिमाग से...

बारे उस बात के कुछ तो सोचना चाहिए था...

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वो जो बाहर खुश अंदर चुप रहता है...

खामोशी पर उसकी कुछ तो लिखना चाहिए था...!!


Suryansh jangid

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